पाचन तंत्र क्या है

नमस्कार दोस्तों

आपका बहुत-बहुत स्वागत है हमारे इस ब्लॉग में आज के इस ब्लॉग में पाचन तंत्र के बारे में बात करेंगे पाचन तंत्र क्या है यह शरीर में किस तरह काम करता है इसके कौन-कौन से भाग होते हैं किस किस से मिलकर बना होता है शरीर में इसका क्या काम होता है अगर आप यह जानकारी लेना चाहते हैं तो ब्लॉग को शुरू से अंत तक जरूर पढ़ें


 पाचन तंत्र क्या है


परिभाषा___ पाचन तंत्र का अर्थ भोजन को पचाना
जैसे--
बड़े अणुओं को छोटे अणुओं में बदल कर पोषक तत्वों को अवशोषित कर के बचे हुए अपशिष्ट पदार्थ को मल में बदलना और फिर मलका शरीर से बाहर त्याग यह संपूर्ण प्रक्रिया पाचन तंत्र में होती है



पाचन तंत्र में सम्मिलित विभिन्न प्रकार के ग्रंथियां एवं अंग निम्न प्रकार है


अंग

1  मुख

2 ग्रसनी

3  ग्रास नली

4 आमाशय

5 छोटी आतं


6 बड़ी आतं


7 मलद्वार


कुछ ग्रंथियां जैसे

लार ग्रंथि


यकृत ग्रंथि


अग्नाशय

यह सभी अंग मिलकर आहार नाल का निर्माण करते हैं जो मुख से शुरू होकर मलद्वार तक जाती है यह करीब 8 से 10 मीटर लंबी होती है इसे पोषण नाल भी कहते हैं

आहार नाल के तीन प्रमुख कार्य होते हैं
(क)  आहार नाल को सरलीकृत कर पचाना
(ख)  पचित आहार का अवशोषण
(ग)  आहार को मुख से मलद्वार तक पहुंचाना


       पाचन कार्य में प्रयुक्त होने वाले अंग


जैसा कि मैंने आपको पहले बताया है या फिर आपको पता है की पाचन कार्य में मुख से लेकर मलद्वार तक अनेकों अंग कार्य करते हैं अब हम अंगों के बारे में संपूर्ण जानकारी लेंगे तो आप आगे तक पढ़ें




मुख--  

आहार नाल का अग्रभाग मुख से प्रारंभ होकर मुख गुहा में खुलता है यह एक कटोरे नुमा अंग है इसके ऊपर कठोर तथा नीचे कोमल तालु पाए जाते हैं मुख गुहा में ही चारों ओर गति कर सकने वाली पेशी निर्मित जीभ (जीव्या )पाई जाती है जीभ मुख गुहा के पृष्ठ भाग में आधार तल से 
फेनूलम लिंगुअल् या जीभ फेनूलम के द्वारा जुड़ी होती है तथा मुख गुहा के मध्य भाग तक जाती है

मुख्य दो माशल होठों से घिरा रहता है जो मुख को खोलने तथा बंद करने एवं भोजन को पकड़ने में सहायक होते हैं

 मुख में दो जब बड़े होते हैं दोनों जव्ड़ों में 16-16 दांत पाए जाते हैं सभी दांत जबड़े में पाए जाने वाले एक सांचे में स्थित होते हैं इसे सांचे को मसूड़ा कहां जाता है मसूड़ों तथा दांतों की इस स्थिति को गर्त दंती कहा जाता है  मानव में दुई बार दंती व्यवस्था पाई जाती है जिसमें जीवन काल में दो प्रकार दांत अस्थाई (दूध के दांत)  तथा स्थाई पाए जाते हैं


दांत चार प्रकार के होते


कृतंक

रदनक्


अग्रचर्वणक

चवणक



दांतो के कार्य



कृतंक
------------ यह सबसे आगे के दांत होते हैं जो कुतरने तथा काटने का कार्य करते हैं यह छः माह की उम्र में निकलते हैं


र द् न क

-----------  यह दांत भोजन को चिरने तथा फाड़ने का कार्य करते हैं यह 16 से 20 माह की उम्र में निकलते हैं यह प्रत्येक जबड़े में दो-दो होते हैं मांसाहारी पशु ओ मैं यह ज्यादा विकसित होते हैं


अग्रचर्वणक
---------------- यह भोजन को चबाने में सहायक होते हैं तथा प्रत्येक जबड़े में चार चार पाए जाते हैं यह 10 से 11 वर्ष की उम्र में पूर्ण रूप से विकसित होते हैं


चवणक
----------- यह दांत भी भोजन चलाने में सहायक होते हैं तथा प्रत्येक जबड़े में 6 6 पाए जाते हैं यह 12 से 15 माह की उम्र में निकलते हैं


दंत सूत्र


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ग्रसनी


मुख गुहा जीभ व तालु के पिछले भाग मैं एक छोटी सी कुप्पी नुमा ग्रसनी से जुड़ी होती है ग्रसनी से होकर भोजन आहार नलिका ग्रास नाल तथा वायु स्वास नाल में जाती है ग्रसनी अपनी संरचना से यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी सूरत में भोजन स्वास नाल में तथा वायु भोजन नाल में प्रवेश न कर सके


ग्रास नली


यह एक सकरी पेशी नली है जो करीब 25 सेंटीमीटर लंबी होती है यह ग्रसनी के निचले भाग से प्रारंभ होकर गिरवा कथा वक्ष स्थल से होती हुई मध्य पट से निकलकर उदर गुहा में प्रवेश करती है इसका मुख्य काम भोजन को मुख हुआ से आमाशय में पहुंचाना है ग्रास नली में कुछ श्लेष्मा ग्रंथियां मिलती है


आमाशय


आहार नाल का ग्रास नली से आगे का भाग आमाशय है यह एक पेशीय जे आकार की संरचना है जो ग्रास नली में ग्रहणी के मध्य तथा उदर गुहा के बाय इससे तथा मध्य पति के पीछे स्थित होता है आमाशय को तीन भागों में बांटा जा सकता है, जठागम भाग

जठर निर्गम विभाग


फंडिंस भाग



छोटी आंतं


छोटी आंत्र पाचन तंत्र का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है जो आमाशय के जठर निगृमी भाग से शुरू होकर बड़ी आंत्र पर पूर्ण होती है मानव में इसकी औसत लंबाई 7 मीटर होती है


बड़ी आतं


छोटी आत्र आगे बड़ी आत्र से जुड़ा होता है यहां कुछ विशेष जीवाणु पाए जाते हैं यह जीवाणु छोटी आत्र से शेष बचे अपाचित भोजन को किण्वन क्रिया द्वारा सरलत कर पाचन में मदद करते हैं बड़ी आत का मुख्य कार्य जल तथा खनिज लवणों का अवशोषण तथा अपाचित भोजन को मलद्वार से उत्सर्जित करना है


मलाशय



मलाशय आहार नाल का अंतिम भाग होता है यह करीब 20 मीटर लंबा होता है मलाशय के अंतिम तीन सेमी वाले भाग को गुदा नाल कहां जाता है गुदा नाल मलद्वार के रास्ते बाहर खुलती है मलाशय पर आ कर आहार नाल समाप्त होती है


 धन्यवाद दोस्तों




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