बर्नर सिद्धांत क्या है, बर्नर सिद्धांत किसे कहते हैं, burner Siddhant BSC 2nd year

 

बर्नर सिद्धांत क्या है, बर्नर सिद्धांत किसे कहते हैं, burner Siddhant BSC 2nd year

यह 2023 मै ज़रूर आयेगा..





BSC 2nd year Inorganic chemistry important question 2023

बीएससी सेकंड ईयर इंपोर्टेंट क्वेश्चन 2023

जो मैं यहां पर आपको प्रश्न बता रहा हूं इन प्रश्नों की जो परिभाषाएं हैं यह परिभाषा इतनी छोटे तरीके से आपको कहीं भी नहीं मिलेगी इसलिए इन्हें याद करें 2023 परीक्षा में यह पूछे जा सकते हैं


बिल्कुल सरल परिभाषा में समझाया है वीडियो देखे 🚀👇👇




Q. 1 बर्नर सिद्धांत क्या है संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए

आपको वहां पर बर्नर सिद्धांत से संबंधित कई प्रशन देखने को मिलेंगे उनसे आपको समझना है इस प्रश्न में हमें क्या करना है
और प्रश्न बदल कर भी आएंगे आपको समझना है बर्नर सिद्धांत का जो प्रश्न है वह कौन सा है



उत्तर -- 

यह सिद्धांत बर्नर के द्वारा दिया गया इस सिद्धांत के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया उनके अनुसार
कोई भी संकुल है जो भी संकुल है उसके अंदर जो धातु है वह दो प्रकार की संयोजकता है दर्शाती है या बताती है

यह संयोजकता एक तो होती है 1 .प्राथमिक संयोजकता( primary valency )
दूसरी होती है 2. द्वितीयक संयोजकता( secondary valency)

1 .प्राथमिक संयोजकता ऑक्सीकरण अवस्था को बताती है
1. द्वितीयक संयोजकता यह दातों की कोऑर्डिनेशन नंबर या समन्वय संख्या को बताती है
2. प्राथमिक संयोजकता ऋण आयन से संतुष्ट होती
हैं
2. द्वितीयक संयोजकता धनायन ,ऋणआयन तथा उदासीन से भी संतुष्ट होती है
3. प्राथमिक संयोजकता अदिसात्मक होती है

3. द्वितीयक संयोजकता दिसात्मक होती है

4. प्राथमिक संयोजकता अन आयनित होती है

4. द्वितीयक संयोजकता आयनित होती है
5. प्राथमिक संयोजकता संकुल की ज्यामिति में योगदान नहीं देती 

5. द्वितीयक संयोजकता संकुल की ज्यामिति को बताती है या योगदान देती है
आपको इस प्रश्न का ऐसा उत्तर कहीं भी नहीं मिलेगा जैसा आपने ऊपर देखा है क्योंकि यह प्रश्न न किसी नोटबुक में मिलेगा

Q.2 किलेट किसे कहते हैं

उत्तर -- 

 द्धिदन्तुक या बहुदन्तुक केंद्रीय धातु परमाणु से जुड़कर 5 या 6 सदस्य वलय बनाते हैं उन्हें हम किले ट या किले ट लिगेंड कहते हैं 

दूसरी परीभाषा


कीलेट (Chelate) - जब कोई लिगेण्ड धातु परमाणु या आयन के साथ एक से अधिक उपसहसंयोजक बंध बनाता है तो उसे बहुदन्तुक लिगेण्ड कहते हैं। जब कोई बहुदन्तुक लिगेण्ड किसी धातु परमाणु या आयन के साथ एक से अधिक उपसहसंयोजक बंध बनोयेगा तो चक्रीय संरचना युक्त उत्पाद बनेगा। उदाहरणार्थ एथिलीन डाईएमीन कोबाल्ट आयन के साथ निम्नांकित प्रकार का उपनसहसंयोजक बंध बनाता है



इस प्रकार बनी हुई चक्रीय संरचना कीलेट कहलाती है। कीलेट संकुल सामान्य संकुल यौगिकों की तुलना में अधिक स्थायी होते हैं, क्योंकि इन संकुलों के वियोजन में दो बंध टूटेंगे, जिसके लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी। किसी संकुल में जितनपी अधिक वलय संरचनाएँ बनेगी, वह संकुल उतना ही अधिक स्थायी होोग। यही कारण है कि क्षट्दन्तुक लिगेण्ड EDTA के साथ कैल्शियम जैसा बडा धनायन भी बहुत स्थायी संकुल बनाता है।

यदि किसी कीलेट की वलय से संयुग्मित द्विबंध विद्यमान हो तो अनुनाद द्वारा -r इलैक्ट्रॉन घनत्व पूरी वलय पर विस्थानीकृत हो जाता है और ऐसा होने पर कीलेट यौगि का स्थायित्व और भी बढ़ जाता है। उदाहरणार्थ धातुओं के साथ एसीटिल एसीटोन सकुल अत्यधिक स्थायी होता है। यह संकुल निम्नांकित प्रकार से अनुनाद द्वारा स्थायीकृत होता है।




आपको यहां पर सभी प्रश्नों के उत्तर उपलब्ध हो गए हैं अगर आप इन प्रश्नों को ध्यान पूर्वक परीक्षा में करके आएंगे आपको अच्छे नंबर मिलेंगे क्योंकि यह प्रश्न परीक्षा में आने लायक है तो परीक्षा देने जाओ उससे पहले यह प्रश्न जरूर याद करके जाएं


Q. 3 अति भा री तत्व किसे कहते हैं

उत्तर-- 

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