BSC 2nd year Zoology 1st paper Important question 2024 rajasthan University

BSC 2nd year Zoology 1st paper Important question 2024


Question and answers 2024 Exam


आपको यह सभी प्रश्न 2024 परीक्षा में अच्छे नंबर दिलाने के लिए बेहतर है अगर आप इन सभी प्रश्नों को याद करते हैं तो आप 85% अंक आपकी परीक्षा में प्राप्त कर सकते हैं

यहां पर आपको सभी प्रश्न के उत्तर मिलेंगे कृपया सभी question ध्यान देकर उत्तर नोट करें

Q 1 . तारा मछली में गमन को समझाइए तथा उसका जल परिसंचरण तंत्र इसमें कैसे सहायता करता है बताइए
प्रश्न किसी भी तरह आ सकता है जैसे

एस्टीरिया के नाल पद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
        या
तारा मछली की नाल-पाद की संरचना का वर्णन कीजिए

उत्तर-तारा मछली संघ इकाइनोडर्मेटा की सदस्य है। ये छिछले । समुद्री जल के पैंदे में पायी जाती है तथा विशिष्ट संरचनाओं द्वारा पैंदे की कठोर सतह पर रेंगकर गमन करती है। इन विशिष्ट संरचनाओं को नाल पाद । (tubefeet) कहते हैं। तारा मछली में गमन के लिए नाल पाद तो पाये जाते हैं, परन्तु ये एक विशेष तंत्र के अंग होते हैं, जिसे जल परिसंचरण तंत्र कहते है




मछली में नाल पाद जल परिसंचरण तंत्र के अभिन्न अंग होते हैं . तथा जल इनमें जलीय कंकाल का कार्य करता है । जल परिसंचरण तंत्र की गमन में अहम् भूमिका होती है। यह निम्नलिखित संरचनाओं से मिलकर बना होता है- मैड्रिपोराइट, स्टोन रिंग केनाल, रेडियल केनाल, पार्श्व केनाल तथा नाल पाद।

नाल पाद की संरचना   (Structure of tube feet) प्रत्येक नाल पाद एक खोखली सिलेन्डर समान संरचना होता है। यह कोमल, लचीली एवं पतली भित्ति का बना होता है। प्रत्येक नाल पाद तीन भागों से मिलकर बना होता है -
(1) एम्पुला (ampulla) (ii) पोडियम (podium)
(iii) चूषक (sucker)

(1)एम्पुला (Ampulla)-यह एक गोलाकार थैले समान तुम्बिका होती है जी वीथि छिद्र के ऊपर सीलोम में उभरी होती है। एम्पुला अपनी तरफ की पार्श्व केनाल से जुड़ी रहती है।

(ii) पोडियम (podium) 
एम्पुल्ला से निकलता हुआ नलिका कार भाग पोडियम कहलाता है यह विथी खांच से निकला रहता है
(iii) चूषक (sucker)  पोडियम कि लिचली सतह पर प्याले जैसा चूसक पाया जाता है जिसकी मदद से तारा-मछली सतह पर चिपक जाती हैं

नाल पाद विथि खाच से वीथि छिद्र द्वारा निकलने वाले भाग पोडियम तथा चूषक होते हैं। नाल पाद की एम्पुला या तुम्बिका की भित्ति में वृत्ताकार पेशियाँ पायी जाती हैं तथा पोडियम की भित्ति में अप्रत्यास्थ संयोजी ऊतक के वलय पाये जाते हैं। नाल पाद श्वसन, भोजन को पकड़ने एवं रोके रखने और शरीर को अधर सतह पर स्थिर रखने में सहायक होते हैं।

तारा मछली में गमन (Locomotion in starfish) तारा मछली में गमन की क्रिया जल परिसंचरण तंत्र की सहायता से होती है तारा मछला में कोई शीर्ष या अग्र सिरा नहीं होता है, अत: यह किसी भी दिशा में गमन कर सकती है। तारा मछली जिस दिशा में गमन करना चाहती है, उस दिशा की तरफ वाली भुजा ऊपर उठा ली जाती है। गमन की क्रिया के समय जल परिसंचरण तंत्र द्वारा जल विभिन्न नालों में होता हुआ नाल पाद के एम्पुला तक पहुँच जाता है। अब उठाई गई भुजा के एम्पुला संकुचित होते हैं जिसके कारण पार्श्व नलिकाओं के वाल्व बंद हो जाते हैं तथा उनमें भरा जल बलपूर्वक नाल पाद में पहुँच जाता है। नाल पाद में जल पहुँचने के कारण द्रव-स्थैतिक दाव उत्पन्न होता है। इस दबाव के कारण नाल पाद फैलकर लम्बे हो जाते हैं। इसके पश्चात् नाल पादों के अन्तिम जिरे पर उपस्थित प्यालेनुमा चूषकों की सहायता से ये सतह पर दृढ़ता से चिपक जाते हैं ।

       नाल पाद में भरा जल जलीय-कंकाल का कार्य करता है। अब 'ने पाद अपने चिपके चूषकों को धुरी के समान रखते हुए आगे की तरफ घूमते हैं एवं इस प्रकार घूमते हुए शरीर को आगे धकेलते हैं। अब पादों की अनुदैर्ध्य पेशियाँ संकुचित होती हैं जिसके कारण उनमें भरा जल वापस एम्पुला में चला जाता है व पाद छोटे हो जाते हैं। इससे चूषकों की पकड़ ढीली हो जाती है एवं वे सतह को छोड़ देते हैं । एम्पुला संकुचित होकर पुन: इस क्रिया को दोहराते हैं व गमन करते हैं। तारा मछली इस तरह गमन करती हुई लगभग 15 सेमी. प्रति मिनट की दर से आगे बढ़ती है।

Q .2 साइकन की कंटीकायो पर संक्षिप्त टिप्पणी


Q .3 पाइला को संक्षिप्त में समझाइए जैसे पाइला में गमन,परिसंचरण तंत्र ,चित्र वर्णन, तंत्रिका तंत्र


Q .4 संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
पैरामीशियम में गमन
टीनिया
प्रोंन


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