BSC 1st year Physical Chemistry important question 2022

 

BSC 1st year Physical Chemistry important question 2022

पक्का आएंगे देखलो ये प्रशन 2022 मै




Q .1 द्रव क्रिस्टलों के अनुप्रयोग क्या है ?  लिखिये।


उत्तर--  द्रव क्रिस्टलों के अनुप्रयोग निम्न हैं: - 


1. नेमैटिक द्रव क्रिस्टलों में प्रबल विषमदैशिक प्रकाशीय गुण होते हैं और


विद्युत क्षेत्र में भी प्रतिक्रिया दर्शाते हैं, अत: इनको कैल्कुलेटर और घड़ियां में संख्याएँ प्रदर्शित करने पर प्रयुक्त किया जाता है।


2 विभिन्न स्नेहक वस्तुतः पदार्थों की द्रव क्रिस्टल अवस्था ही होते हैं। अतः विभिन्न औद्योगिक इकाईयों में स्नहेक (lubricant) के रूप में इनका व्यापक उपयोग होता है।


3. इनके गुण क्रिस्टलीय ठोस और समदैशिक द्रवों के मध्यवर्ती होते हैं, अत: इनका उपयोग गैस द्रव क्रोमैटोग्राफी में किया जाता है।


4. हमारे शरीर में प्रोटीन, वसा आदि का पाचन भी द्रव क्रिस्टलों के माध्यम से ही होता है।


5. द्रव क्रिस्टलों में थर्मोग्राफी का गुण पाया जाता है।


द्रव क्रिस्टलों के इस गुण का उपयोग मानव शरीर के किसी भाग में हुआ फोड़ा ट्यूमर या रसौली, आदि की स्थिति में उनका आकार आदि ज्ञात करने में भी किया अता है। इस प्रक्रिया में किसी उपयुक्त द्रव क्रिस्टल की थोड़ी सी मात्रा इन्जेक्शन द्वारा शरीर के प्रभावित भाग में पहुंचाई जाती है। इसके बाद शरीर के उस भाग पर उच्च ऊर्जा के विकिरण डाले जाते हैं तथा परिवर्तित विकिरणें का अध्ययन संसूचकों का उपयोग करके किया जाता है। चूंकि केन्सर अथवा ट्यूमर द्वारा प्रभावित शरीर के भग का ताप अन्य भाग से भिन्न होता है, अत: उस भाग से परावर्तित विकिरणों की तरंग लम्बाई भी भिन्न होगी। आध निक तकनीक का उपयोग करके प्रभावित भाग द्वारा परावर्तित विकिरणों से ट्यूमर अथवा केन्सर प्रभावित भाग की फोटो, फोटोग्राफिक प्लेट अथवा कम्प्यूटर के स्क्रीन पर उतारी जा सकती है। इससे ट्यूमर या फोड़े, केन्सर प्रभावित भाग की वास्तविक स्थिति और आकार के बारे में जानकारी प्राप्त कर ली जाती है और शरीर के उस भाग का उपचार सुगमता से किया जा सकता है।




Q 2.नेमैटिक द्रव क्रिस्टल क्या है समझाएं उदाहरस्वरूप


 नेमैटिक द्रव क्रिस्टल-  


इस प्रकार के क्रिस्टल में भी अणु समानान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं, परन्तु इनमें परत नहीं होती है। अणुओं की अवस्था भी अनियमित होती है। ध्रुवीय प्रकाश की उपस्थिति में इनकी संरचना का अध्ययन करने पर पता चलता है कि इनकी सूत्रिल संरचना होती है।


उदाहरण:- एनीसेल्डेनीन, n-एजोक्सी एनीसोल


 नेमैटिक द्रव क्रिस्टलों के गुण:


1. "नेमैटिक द्रव क्रिस्टलों का प्रवाह सामान्य द्रवों के समान ही होता है अर्थात् इनका प्रवाह स्मैक्टिक द्रव क्रिस्टलों की अपेक्षा अधिक सरलता से होता है


2.  नेमैटिक द्रव क्रिस्टलों में न्यूटनी प्रवाह होता है जो कि स्मैक्टिक द्रव क्रिस्टलों के विपरीत है और सामान्य द्रवों के लगभग समान है।


3 .नेमैटिक द्रव क्रिस्टल विषमदैशिकता, दर्शाते हैं, परन्तु स्मैक्टिक द्रव क्रिस्टलों की अपेक्षा यह गुण कम होता है।


4. नेमैटिक द्रव क्रिस्टलों में अणु एक अक्षीय होते हैं, परन्तु ये चुम्बीय क्षेत्र द्वारा प्रभावित होते हैं। आविल द्रव को चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा से देखा जाता है तो वह स्वच्छ दिखाई देता है। यदि चुम्बकीय क्षेत्र हटा लिया जाता है तो द्रव में फिर से आविलता आ जाती है।


5. स्मैक्टिक द्रव क्रिस्टल द्रवों के समान प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं करते हैं।


 6. श्यानता की सामान्य धारणा इन द्रवों पर लागू होती है, परन्तु श्यानता


सामान्य द्रवों की अपेक्षा कम होती है।


 7. नेमैटिक द्रव क्रिस्टल सामान्य क्रिस्टलों के समान X-किरण विवर्तन प्रारूप बनाते हैं।


Q .3  मैक्सवेल वोल्ट्जमान वितरण नियम का प्रायोगिक सत्यापन लेमर्ट वेग विधि द्वारा



इस विधि में प्रयुक्त उपकरण को चित्र में दिखाया गया है। इस उपकरण में दो दाँतेदार प्लेट A तथा L पर एक शापट द्वारा परस्पर जुड़ी रहती है। इसमें एक भट्टी होती है जिसमें एक निश्चित ताप पर कोई गैस H²,N² या CCI⁴, परिवेष्टित कर देते हैं। गैसों के अणुओं को एक सूची छिद्र मुख में से निकल कर एक निर्वातित कोष्ट में पहुँचने दिया जाता है। गैस अणु उतरने पर एक समांतरकारी रेखा छिद्र S में से गुजरते हैं और एक आणविक दण्ड बनाते हैं । इस आणविक दण्ड को संसूचक की और दिष्ट कर दिया जाता है। जब दोनों प्लेटें अचल होती हैं तब आणविक दण्ड दोनों प्लेटों के रेखा छिद्र (दाँतों के बीच की दूरी) द्वारा वेग संसूचक या रेडियो मीटर तक पहुँचती है। दोनों प्लेटों के रेखा छिद्र इस प्रकार समायोजित कर दिये जाते है कि किसी निश्चित वेग वाले अणु दोनों में से संसूचक तक पहुँचते हैं। गुजरकर


दोनों प्लेटों को जोड़ने वाले शिपट को विभिन्न दरों से घुमाया जाता है और किसी विशेष वेग के लिए संसूचक में अणुओं की अनुरूप संख्या ज्ञात कर ली जाती है। इस प्रकार समस्त अणुओं में से किसी वेग वाले अणुओं की संख्या ज्ञात की जा सकती हैं अणुओं की संख्या तथा उसके अनुरूप वेगों में ग्राफ आलेखित करने पर प्राप्त वक्र आणविक वेगों के सैद्धान्तिक रूप से प्रागुक्त वेगों के मैक्सवेल बोल्ट्जमान वितरण वक्र के अनुरूप होते हैं।






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