ओबेलिया में पोषण,ओबेलिया में पोषण को समझाइए ,ओबेलिया, ओबेलिया क्या है

 

BSC 2nd year Zoology 1st paper important question 2021

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प्रश्न 1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए


ओबेलिया में पोषण


उत्तर-


 ओबेलिया में पोषण ओबेलिया एक स्थानगत, निवही और बहुस्वरूपी प्राणी होता है। आबेलिया कॉलोनी बहु फॉर्मिता (बहुरूपता) प्रदर्शित करता है अर्थात् इसमें अलग-अलग प्रकार के जीवक (ज़ोइड) पाए जाते हैं।

 ओबेलिया में तीन प्रकार के जीवक पाए जाते हैं


1. पॉलिप या हाइड्रेथ (पॉलीप या हाइड्रैंथ) 

२। ब्लास्टोस्टाइल या गोनी जूईड (ब्लास्टोस्टाइल या गोनोज़ोइड)


३। मेडूसा या छत्रक (मेडुसा)।


पॉलिप या हाइड्रेथ, स्थानबद्ध कॉलोनी के पोषक जीवक होते हैं। ब्लास्टोस्टाइल इस कॉलोनी के अलैंगिक जनन करने वाले जीवक होते हैं, ये पोषण नहीं करते हैं। मेडूसा ऑबेलिया कॉलोनी के स्वतंत्र जीवक होते हैं। इनका विकास ब्लास्टोस्टाइल से मुकुलन द्वारा होता है। इसमें भी सक्रिय रूप से पोषण होता है।


पॉलिप या हाइड्रैथ में पोषण-


पॉलिप, ऑबेलिया कॉलोनी का पोषक जीवक होता है। सम्पूर्ण कॉलोनी की भोजन व्यवस्था पॉलिप के ही शब्दोंे रहती है। पॉलिप में पोषण हाइड्रा के समान ही होता है।


भोजन (भोजन) -


पॉलिप एक मांसाहारी (मांसाहारी) और शिकारी प्रवृति का जीवक होता है। इसके आहार छोटे जलीय जंतु होते हैं। यह क्रस्टेशिया वर्ग के जलीय प्राणियों, निमेटोड्स और अन्य कृमियों को भोजन के रूप में ग्रहण करता है।


अशन विधि (खिला तंत्र) 


पॉलिप की संरचना लगभग हाइड्रो के समान ही होती है। इसका मुख शंक्वाकार उभार पर स्थित है जिसे हस्तक या मेनुब्रियम (मनुब्रियम) कहते हैं। मुख के चारों ओर ठोस संकुचनशील 24 स्पर्शक एक घेरे में उपस्थित होते हैं। इन्हीं स्पर्शकों की सहायता से यह अपना भोजन पकड़ता है। शिकार पकड़ने के लिए स्पर्शकों में विशेष प्रकार की कोशिकाएँ पायी जाती है जिसे दंश कोशिकाएँ (नेमाटोकोलिस्ट्स) कहती हैं। इन कोशिकाओं का पाया जाना संघ सीलेन्ट्रेटा की विशेषता होती है। पॉलिप में ये कोशिकाएँ स्पर्शकों पर छल्लेदार बैतों के रूप में उपस्थित होती हैं। भोजन ग्रहण करने में इन कोशिकाओं का विशेष योगदान रहता है।

पाचन - ( Digestion )


 ऑबेलिया की सम्पूर्ण कॉलोनी की जठरवाही गुहा पोषक पेशी कोशिकाओं द्वारा आस्तरित होती है। ये कोशिकाएँ लम्बी स्तम्भाकर होती हैं और अग्र सिरे पर कूटपाद बनाने में सक्षम होती हैं। इन कोशिकाओं के स्वतंत्र सिरे पर कशाभ पाया जाता है जो भोजन के कणों को आदर्श बनाये रखने में सहायक होता है। पॉलिप में वसा का प्रकार | | होता है- (i) अंतर: कोशिकीय वसा (अंतरा कोशिकीय वसा) (ii) बहि कोशिकीय शोधन (अतिरिक्त कोशकीय वसा)। पकड़े गए शिकार को क्रमाकुंचन की गति द्वारा जठर गुहा में पीसा जाता है या छोटे-छोटे टुकड़ों में तो जाता है। इनमें से कुछ टुकड़ों पोषक पेशी कोशिकाओं में उपस्थित कूटपादों द्वारा पकड़ कर अंतर्ग्रहित कर लिये जाते हैं। जहां कोशिका की खाद्य रोशनी में भोजन का पाचन कर लिया जाता है। शेष भोजन के कणों का अकरण जठर वाहिनी गुहा में होता है।यह अंत: कोशिकीय वसा कहते हैं।भोजन के जठर वाहिनी गुहा में पहुंचते ही गेस्ट्रोडिंहमें उपस्थित ग्रंथिल कोशिकाओं को, विशेष रूप से जाइम प्लैनिंग कोशिकाएं (ज़ीमोज़न कोशिकाएँ) द्वारा क्षारीय प्रोटिओलाइटिक (प्रोटियोलिटिक) संरक्षण प्रदान करता है। स्रावित होने का लगता है। यह शिकार का रासायनिक विघटन शुरू कर देता है। | जठर वाहिनी गुहा में अन्य पाचक एन्जाइम भी ग्रंथिल कोशिकाओं द्वारा स्रावित किए जाते हैं। गुहा का माध्यम भी पहले क्षारीय फिर अम्लीय व | अंतर में क्षारीय होता है। बाह्य कोशिकीय शोधन क्रिया विकसित प्राणियों की | विशेष रूप से जाइम प्लैनिंग कोशिकाएं (ज़ीमोजेन सेल्स) द्वारा क्षारीय प्रोटिओलाइटिक (प्रोटियोलिटिक) प्रोटाइम। स्रावित होने का लगता है। यह शिकार का रासायनिक विघटन शुरू कर देता है। |आहार नाल के समान होता है और अंतर: कोशिकीय निर्धारण प्रोटोजोआ संघ के प्राणियों की तरह निम्नलिखित कोटि (आदिम प्रकार) की शोधन विधि का द्योतक है।जठर वाहिनी गुहा में अन्य पाचक एन्जाइम भी ग्रंथिल कोशिकाओं द्वारा स्रावित किए जाते हैं। गुहा का माध्यम भी पहले क्षारीय फिर अम्लीय व | अंतर में क्षारीय होता है। बाह्य कोशिकीय शोधन क्रिया विकसित प्राणियों की | आहार नाल के समान होता है और अंतर: कोशिकीय निर्धारण प्रोटोजोआ संघ के प्राणियों की तरह निम्नलिखित कोटि (आदिम प्रकार) की शोधन विधि का द्योतक है। विशेष रूप से जाइम प्लैनिंग कोशिकाएं (ज़ीमोजेन सेल्स) द्वारा क्षारीय प्रोटिओलाइटिक (प्रोटियोलिटिक) प्रोटाइम। यह शिकार का रासायनिक विघटन शुरू कर देता है। | जठर वाहिनी गुहा में अन्य पाचक एन्जाइम भी ग्रंथिल कोशिकाओं द्वारा स्रावित किए जाते हैं। गुहा का माध्यम भी पहले क्षारीय फिर अम्लीय व | अंतर में क्षारीय होता है।स्रावित होने का लगता है।बाह्य कोशिकीय शोधन क्रिया विकसित प्राणियों की | आहार नाल के समान होता है और अंतर: कोशिकीय निर्धारण प्रोटोजोआ संघ के प्राणियों की तरह निम्नलिखित कोटि (आदिम प्रकार) की शोधन विधि का द्योतक है।






पचा हुआ भोजन पोषक पेशी कोशिकाओं द्वारा विसरण विधि द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। आवश्यकता से अधिक भोजन ग्लाइकोजन कणों और वसा बडुओं के रूप में पोषक पेशी कोशिकाओं में ही संचित कर लिया जाता हैं


बहि निछे पण { Egestion }



पोषण में बिना पचे हुए भोजन के बहिन मिशने हो के लिए अलग से द्वार या छेद नहीं पाया जाता है। अतः बिना पचे हुए भोजन का बहिन मिशने हो प्रमुख द्वारा ही होता है।


मेडूसा में पोषण (मेडुसा में पोषण)


मैडूसा ऑबेलिया कॉलोनी का स्वतंत्र जीवक होता है। यह अलैंगिक रूप से ब्लास्टी शैली से विकसित होता है। यह छत्रकार या घन्टी आकार का होता है। इसकी शोधन प्रणाली सुविकसित होती है। मेडूसा का प्रमुख चौकोर होता है और लम्बे हेण्डल समान हस्तक (मनुब्रम) के स्वतंत्र सिरे पर स्थित होता है। हस्तक पीछे की ओर एक फुले हुए प्रकोष्ठ में खुलता है | जिसे जठर थैला (गैस्ट्रिक थैली) कहते हैं। इससे चार संकरी अरीय नालें | (रेडियल कैनाल) निकलती हैं जो प्रतीक्षाुल नलिका (वृत्ताकार नहर) में खुलती हैं।


मेडूसा भी पॉलिप की तरह मांसाहारी व शिकारी प्रवृत्ति की होती है। मेहनास में घण्टी किनारे (घंटी मार्जिन) पर संकुचनशील स्पर्शक मिल जाता है | है। ये दशन कोशिकाएँ पायी जाती हैं। इनकी सहायता से ये अपने शिकार को पकड़ते हैं। भोजन का निर्धारण जठर थैले (गैस्ट्रिक थैली) में होता है। इसमें पोषक पेशी कोशिकाओं का अस्तर पाया जाता है, इनमें ग्रंथिल कोशिकाएँ भी पायी जाती हैं जो पाचक रसों का स्त्राव करती हैं। इसमें भी पॉलिप की तरह वसा अंतर: कोशिकीय और वहिकोशिकीय प्रकार का पाया जाता है। पचे हुए भोजन का वितरण अरीय नालों और वृत्ताकार नाल द्वारा होता है। बिना पचा हुआ भोजन प्रमुख द्वारा ही बाहर निकाल दिया जाता है।



 





 


 


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