Bsc 3rd year Botany 1st paper important questions 2024 ( Objective Question) पक्का आयेंगे ये प्रशन 20 परीक्षा में रटलो

 Bsc 3rd year Botany 3rd paper objective important questions 2024

इस पोस्ट में आपको यहां पर बीएससी थर्ड ईयर बॉटनी प्रथम पेपर महत्वपूर्ण प्रश्न देखने को मिल रहे हैं जो 2024 परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण है क्योंकि जो ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आते हैं इन से बाहर कुछ नहीं आएगा तो आप कृपया इन सभी प्रश्नों को जरूर याद करें


आर्टिकल को पूरा पढ़िए यहां पर आपको क्वेश्चन के साथ आंसर भी देखने को मिलेंगे




नीचे आपको क्रमानुसार सभी प्रश्न जो इंपॉर्टेंट है तथा उनके उत्तर बताए हैं तो सभी को नोट करें और इनको अपने दोस्तों में जरूर साझा करें जिससे उनको भी अच्छे नंबर प्राप्त होंगे

प्रश्न 1. (i) मेटामर क्या है?


उत्तरः मेटामरः प्रत्येक मॉड्यूल (module) में एक पर्वसंधि,. एक पर्व, एक पर्ण एवं एक कक्षस्थ कलिका जिसमें विभज्योतक होता हैं, शामिल होते हैं। ये चारों प्ररोह संरचना की एक इकाई माने जाते हैं जिन्हें मेटायर (metamer) कहते हैं।


(ii) सबसे छोटे आवृतबीजी पादप का नाम लिखिए।


उत्तरः वॉल्फिया ।


(iii) क्लांतिनत वृक्ष का एक उदाहरण दीजिए। 


उत्तर: बॉटल-ब्रश एवं सेलिक्स ( salix) |


(iv) स्रावी कोशिकाएँ क्या हैं?


उत्तरः स्रावी कोशिकाएँ: यह अपने आस-पास की शेष मृदुतकी कोशिकाओं से आकार, संरचना एवं कार्य में अलग होती है। इनको विचित्र कोशिका या इडियोब्लास्ट भी कहते हैं। यह विभिन्न प्रकार के तेलों, गोंद, रेसिन, श्लेष्मा, क्रिस्टल एवं टेनिन आदि के स्राव में सहायक होती है। पादप शरीर में ये कहीं भी उपस्थित हो सकती है।


पुरी जानकारी वीडियो में देखें 👇👇👇





(v) वाहिनिकाएँ एवं वाहिकाओं के बीच एक अन्तर स्पष्ट कीजिए ।


उत्तरः वाहिनिकाएँ लम्बी, संकरी एवं दोनों सिरों पर नुकीली होती है जबकि वाहिकाएँ छोटी, अधिक चौड़ी एवं दोनों सिरों पर छिद्र वाली होती है।


(vi) प्राथमिकी कैम्बियम की उत्पत्ति होती है। 


उत्तरः प्राकुएधा (Procambium) 1.


(vii) ट्यूनिका कार्पस सिद्धान्त किसने प्रतिपादित किया?


 उत्तरः श्मिट (Schmidt, 1924)।


यदि आप इन सभी प्रश्नों को याद करते हैं तो आपको ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन जितने नंबर के आते हैं उनमें से 85% नंबर प्राप्त होंगे क्योंकि यह बिल्कुल महत्वपूर्ण प्रश्न है तो जरूर नोट करें और अपने दोस्तों में भी भेजें

(viii) संहति विभाज्योतक से क्या तात्पर्य है?


उत्तरः संहति विभाज्योतक इस प्रकार की विभाज्योतक कोशिकाएँ प्रायः सभी तलों में या विविध प्रकार से विभाजित हो सकती है। कोशिका विभाज्योतकों की सक्रियता के कारण पादप शरीर या पादप अंगों के आयतन में बढ़ोतरी होती है। विभिन्न बहुकोशिकीय संरचनाएँ जैसे भ्रूणपोष तथा मज्जा इत्यादि संहति विभाज्योतक की क्रियाशीलता के कारण ही बनते हैं।


(ix) दो पौधों के नाम बताइये जिनमें मज्जा पूल पाये जाते हैं?


उत्तरः (1) बोरहाविया


(2) एकाइरेन्थस


(x) जाइलम तत्वों के नाम लिखिये।



उत्तरः जाइलम तत्वों के नाम 

 (1) वाहिनिकाएँ (2) वाहिकाएँ 

(3) जाइलम दृढ़ोतक (4) जाइलम मृदूतक ।



(xi) टाइलोसिस क्या है?


उत्तरः टाइलोसिस: अनेक पादपों में वाहिका तथा वाहिनिकाओं के निष्क्रिय अथवा क्षतिग्रस्त हो जाने पर संलग्न अक्षीय अथवा किरण मृदुतकी कोशिकाएँ इनके ल्यूमन अथवा कोशिका में गुब्बारे के समान संरचना बनाते हैं जिन्हें टाइलोसिस (tylosis) कहते हैं।


(xii) तने में अन्तः जाइलमी फ्लोएम का एक उदाहरण दीजिए।


उत्तर: लेप्टोडोनिया ।


(xiii) विषमपर्णता क्या होती है? 

उत्तरः विषमपर्णताः कुछ जलीय पौधे जो आंशिक रूप से


जल निमग्न रहते हैं, में दो प्रकार की पत्तियों मिलती हैं। जल निमग्न भाग की पत्तियाँ आतिशाखित व कटी-फटी होती है जबकि वायवीय भाग की पत्तियाँ अशाखित व अछिन्न किनारों वाली होती है। इस प्रकार के पौधे विषमपर्णी कहलाते हैं। उदाहरणः सिंघाडा (Trapa) रेननकुलस एक्वाटिलिस (Ranunculus aquatilits) 


(xiv) विभिन्न प्रकार के रन्ध्रों के नाम लिखिए।


उत्तरः (1) अनियमित कोशिकीय या रेननकुलस प्रकार के रन्ध्र (2) असमकोशिकीय या क्रूसीफेरस प्रकार (3) पराकोशिकीय या रूबिएशिय प्रकार (4) लम्ब कोशिकीय या क्रॉसवत या केरियो फिल्लेशियस प्रकार अनावृतबीजी पादपों में तने एवं जड़ों में पाई जाने वाली रक्षी (protective) परत है जो द्वितीयक वृद्धि के फलस्वरूप बनती है,


जिसे कार्क या छाल (bark) कहते हैं। 


(xv) दो पादपों के नाम बताइये जिनमें वल्कुटी संवहन पूल


पाये जाते हैं।


उत्तर-(i) केजूराइना (ii) निक्टेंथस।


(xvi) वक्रित भ्रूण किसमें पाया जाता है ?


उत्तर- प्याज (onion) या लेक्यूमिनोसी कुल में।


(xvii) आर्निथोकोरी किसे कहते हैं ?


उत्तर– आर्निथोकोरी (Ornithochory)–पक्षियों द्वारा बीजों की क्रिया को आर्निथोकोरी कहते हैं। उदाहरण—चमगादड़ फलों का दबा कर बीज निकाल देती हैं। ये बीज सहित फल नहीं खाती हैं और ये बीज प्रकीर्णित हो जाते हैं।


(xviii) ऊतक तन्त्र किसे कहते हैं ?


उत्तर- ऊतक तंत्र (Tissue system)–ऊतक तथा ऊतकों का समूह जो किसी निश्चित कार्य को पूरा करने के लिए एक इकाई के रूप में कार्य करते हैं, ऊतक तंत्र (tissue system) कहलाते हैं। 


(xix) एकलाक्षी शाखन का एक उदाहरण दीजिये।


उत्तर--अशोक एवं पाइनस ।


(xx) कागएधा एवं संवहन एधा में क्या अन्तर है ? 


 उत्तर – कागएधा से कार्क (cork) अथवा परित्वक (periderm) का निर्माण होता है जबकि संवहन एधा के विभाजन से द्वितीयक दारू (secondary xylem) तथा द्वितीयक पोषवाह (secondary phloem) का निर्माण होता है।


प्रश्न 1. (i) पर्णविन्यास किसे कहते हैं ?


उत्तर- पर्णविन्यास (Phyllotaxy ) – तने और शाखा पर


पत्तियों के लगने के क्रम को पर्णविन्यास (phyllotaxy) कहते हैं। 


(ii) बहिर्डपांग (Emergences) किसे कहते हैं ?


उत्तर – बहिउपांग (Emergences)–पत्ती के अतिरिक्त कभी कभी कुछ अन्य उपांग भी तने की बाह्यतम परतों जैसे अधिचर्म (epidermis) अथवा वल्कुट (cortex) से निकलते हैं। उन्हें बर्हि उपांग (emergences) कहते हैं। उदाहरण- गुलाब के तने पर उपस्थित कंटक इसी का उदाहरण है।


(iii) कीटहारी पादप किस प्रकार के आवास में पाये जाते हैं ? 


उत्तर – कीटहारी पादप नाइट्रोजन की कमी वाली मृदा


(मरुद्भिद्) में पाये जाते हैं। उदाहरण- ड्रेसीना । 


(iv) उत्तकजनवाद किसने प्रस्तुत किया ? उत्तर-हेन्सटीन ।


(v) गेहूँ में किस प्रकार के संवहन पूल पाये जाते हैं ? उत्तर—संयुक्त, समपार्वीय एवं बन्द संवहन पूल (Conjoint, collateral and closed type) !


(vi) वृक्षकालानुक्रमण में वृक्ष की आयु किस प्रकार ज्ञात की जाती है ?


उत्तर – वृक्षकालानुक्रमण– वार्षिक वलयों की गिनती के आधार पर किसी वृक्ष की आयु ज्ञात की जाती है और वृक्ष की आयु ज्ञात करने की क्रिया वृक्षकालानुक्रमण (Dendrochronlogy) कहलाती है। 


(vii) लेप्टोसेन्ट्रिक संवहन पूल.....में पाये जाते हैं।


उत्तर – ड्रेसीना । -


(viii) पत्तियों में भरण ऊतक को....कहते हैं।


उत्तर–पर्णमध्योतक ।


(ix) मूल के संवहन तंत्र में जालइम पूल ..... होते हैं।


उत्तर – बाह्यआदिदारुक (exarch)।


(x) VAM का पूरा रूप है।




उत्तर – वेसीकुलर आर्बस्कुलर माइकोराइजा (Vescicular arbuscular mycorrhiza) |


(xi) बीज क्या है ?


उत्तर — गार्डिनर (Gardiner) के अनुसार, “बीज भ्रूणीय पादप तथा की एक इकाई होती है जिसमें पौधे की भावी संरचनाओं के आधाक (Premordia) स्वयमेव अवस्थित होते हैं, जो पूर्व की पादप पीढ़ियों द्वारा प्राप्त पोषक ऊतक एवं सुरक्षात्मक ऊतक के भीतर विद्यमान होता है।"


(xii) बीजों में निलम्बित संजीवन को परिभाषित कीजिए। 


उत्तर – बीजों में भी एक प्रकार से सक्रिय उपापचयी क्रियायें अथवा संजीवन अथवा एनिमेशन कुछ काल के लिये जहाँ की तहाँ तक निलम्बित (suspend) हो जाती है। यह काल कुछ दिन, महीने से लेकर हजारों वर्षों तक हो सकता है। इस क्रिया को प्रसुप्तावस्था या बीजों में निलम्बित संजीवन कहते हैं।


(xiii) दो अन्तःस्रावी ऊतकों के उदाहरण बताइये ।


उत्तर-(i) तेल ग्रन्थियाँ - यूकेलिप्टस


(ii) रबर क्षीर- ऊतक-ऐक्रस सपोरा (चीकू) ।


(xv) कॉपर केपर सिद्धान्त किसने दिया है? 


उत्तर: श्यूप (Schuepp, 1917) ने।


 (xvi) मूल शीर्ष की दो विशेषताएँ लिखिए। 


उत्तरः (1) मूल शीर्ष पर मूलगोप (Root Cap) पाई जाती है। (2) मूल शीर्ष में मूल रोम क्षेत्र पाया जाता है। 


(xvii) जीर्णता क्या होती है?


उत्तरः जीर्णता (Senescence): अधिकांश पादपों में विशेष रूप से समशीतोष्ण कटिबंधीय पादपों में पत्तियाँ एक निश्चित मौसम में पतझड़ के समय पहले पीली पड़ जाती हैं। पत्तियों के पीले पड़ने की प्रक्रिया पर्ण जीर्णता कहलाती है।


(xviii) बीजों के प्रकीर्णन को परिभाषित कीजिए।


उत्तरः बीजों के प्रकीर्णनः बीज के बन जाने के पश्चात् इनके भावी जीवन अर्थात् अंकुरण, नवोद्भिद् बनने तथा लैंगिक जनन कर पुनः बीज बनाने के लिए इनका (बीजों अथवा फलों का) प्रकीर्णन (Dispersal) आवश्यक होता है। बीजों के अपने मूल पादप से अन्यत्र बिखरने या वितरित होने को बीजों का प्रकीर्णन कहते हैं ।


(xix) विभिन्न रूपान्तरित तनों के नाम दीजिए। 


उत्तरः विभिन्न रूपान्तरित तनों के नाम: राइजोम (Rhizome), बल्ब (Bulb), ट्यूबर (Tuber), थोर्न (Thorn), बुलबिल (Bulbil) है। 


(xx) कायिक प्रवर्धन के दो लाभ बताइये।


उत्तरः (1) अनेक उद्यानिक पादपों में जीवनक्षम (viable) बीज नहीं बन पाते हैं उन्हें कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाया जा सकता है उदाहरण- अंगूर, मौसमी, संतरा, गुलाब, चमेली, गन्ना, गेंदा, केला, अन्नानास, ग्लेड्यूलस आदि ।

 (2) यह उगाने की एक सरल आर्थिक रूप से सस्ती एवं तीव्र विधि है। अधिकतर बीज से फल प्राप्त करने में 4-5 वर्ष लग जाते हैं परन्तु कायिक प्रवर्धन द्वारा 1-2 वर्ष के भीतर ही फल बनना शुरू हो जाता है।

















Post a Comment

Previous Post Next Post