जेनेटिक इंजीनियरिंग क्या है,जेनेटिक इंजीनियर किसे कहते हैं, जेनेटिक इंजीनियरिंग

 


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प्रश्न . जैनेटिक इन्जीनियरिंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। 




उत्तर- जैनेटिक इन्जीनियरिंग-प्रायोगिक विधियों के द्वारा कृत्रिम रूप से बाह्य DNA को जीवित कोशिका में स्थापित कर कोशिका के आनुवंशिक संगठन में रूपान्तरण उत्पन्न करने की विधि को अनुवंशिक अभियान्त्रिकी (Genetic engineering) कहते हैं। मुख्य रूप से नियन्त्रित वातावरणीय परिस्थितियों में जीनों का इच्छित रूप से रूपान्तरित एवं नियन्त्रित करने के क्रम को अनुवंशिक अभियान्त्रिकी की श्रेणी में किया जाता है। इस तकनीक की मुख्य धाराएँ निम्न हैं जिन्हें संयुक्त रूप से जीन क्लोनिंग (gene cloning) कहते है।


(1) इसके द्वारा एकलीन को इसकी वास्तविक अवस्था में चाही गयी मात्रा के अनुरूप प्राप्त किया जा सकता है। (11) इन जीनों के करण (isolation) के बाद उन्हें समान अथवा


भिन्न जाति की कोशिकाओं में प्रदर्शित किया जा सकता है।


इस रामचन्ध में महत्वपूर्ण प्रयोग इस्बेरिचिया कोलाई (Escherichia coli) एवं विषाणुओं (viruics) की अनेक जातियों पर किये गये है।


आनुवंशिक अभियांत्रिकी के औजार आनुवांशिक अभियांत्रिकी के उपयोग से कीमती इन्टरफेरोन्स (Interferons) पॉलीपेप्टाई दूस (polypeptides), यूद्धि हॉर्मोना (growth hormones) आदि के उत्पादन सफलतापूर्वक किया जा चुका है। आनुवैतिक अभियान्त्रिको के सन्दर्भ में महत्त्वपूर्ण प्रयोगों को निष्पादित करने हेतु निम्न जैविक औजारों (biological tools) की आवश्यकता होती है


(a) एन्जाइम्स (Enzymes) (b) पाहक DNA (Vehicle DNA)


(२) बा अथवा पैसेन्जर DNA (Foreign or Passger DNA)


(d) eDNA कोप (CDNA Bank) एवं


((e) जीन कोष (Gene Bank) 1


आनुवांशिक अभियांत्रिकी के लाभ-सम्पूर्ण विश्व में आज आनुयशफ अभियान्त्रिको के क्षेत्र में विस्तृत अनुसंधान किए जा रहे है। निश्चित रूप से कहा जा सकत है कि इस तकनीक ने विज्ञान एवं सम्पूर्ण मानव समज के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके प्रयोग हमोर लिए सार्थक हो सिद्ध हुए हैं तथा इसे प्रयोगिक पहलू निरंतर हमारे जीवन के आवश्यक अंग बनते जा रहे हैं। आनुवंशिक अभियोगिकी के प्रमुख लाभों का वर्णन निम्नलिखित है


(1) इस तकनीक के द्वारा औद्योगिक सूक्ष्मजीवों की आनुवंशिक नस्सों में सुधार किया जाता है। अनेक एन्टीबायोटिक्स एवं एल्केलॉएड्स का उत्पादन ऐसे परिपयों के द्वारा किया जाता है जो विभिन्न प्रकार के एन्जाइम के द्वारा नियन्त्रित होते हैं।


(2) इस तकनीक के द्वारा मानव वृद्धि हार्मोन सोमेटोस्टेटिन (Somatostatin) एवं इन्सुलिन (insulin) जैसे जटिल हॉमोनों का निर्माण आसानी से सस्ती दरों पर किया जा सकता है। प्रथम मानव हॉर्मोन अर्थात सोमेटोस्टेटिन का आनुशक अभियान्दिकी के द्वारा संश्लेषण किया जाता


(3) इसी तकनीक के द्वारा एन्टीबॉडीज एवं टीकों का निर्माण भी किया जा सकता है। यहाँ पर विषाणुओं (viruses) के आवश्यक जोनों को जीवाणुओं में क्लोन (clone) करने के बाद जोवणाओं से टीके निर्मित किये जाते हैं। इस प्रकार छोटी माता (small pos) आदि संक्रामक बीमारियों के विषाणुओं को प्रयोगशाला में संवर्धित करने की अपेक्षा उपरोका तकनीक के द्वारा आवश्यकता टीका निर्मित कर लिया जाता है।


(4) कृषि के क्षेत्र में आनुवैशिक अभियांत्रिकी के द्वरा अनेकों पादपों की किस्मों में सुधार लाया जा सकता है। इस तकनीक के द्वारा मुख्य रूप से फसलों में नाइट्रोजन के योगिकीकरण करने वाले जोनों का समावेश कराया। जाता है।


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